मंज़िल

मुझसे बहुत दूर ही सही मगर हैउम्मीद का घर मेरी नज़र में है।तुमको रास्ते बहुत कठिन लगते हैंवो तो दरिया है गहरा तो बहुत है।एड़िया घिसकर भी अगर मिल जाए मंज़िलतो तुमने जो पाया है वो कुछ कम नहीं है।वहम पालकर मैंने भी खुद को खोया थाहोश में आकर भी आज मैंने कुछ पाया है।ठोकरें … Continue reading मंज़िल

टूट जाए तो मुरझाने में वक़्त कहा लगता है

टूट जाए तो मुरझाने में वक़्त कहा लगता हैफूल हमेशा डाली पर ही अच्छा लगता है। इज़्ज़त अपनी हो या दूसरे कीइज़्ज़त गंवाने में वक़्त कहा लगता है। बहुत देर तक कहा रहती है शौहरतदौलत के जाने में वक़्त कहा लगता है। कांटा तुम्हारे पांव में हो या किसी और केदर्द के जाने में वक़्त … Continue reading टूट जाए तो मुरझाने में वक़्त कहा लगता है

मैंने भी खोई है अपने हक़ की ज़मीन

मैंने भी खोई है अपने हक़ की ज़मीनउजड़ा शहर तो नुकसान सबका होगा। तेरे हिस्से का गम मिलेगा बेशक तुझेख़ुशी मगर किसी को नसीब ना होगी।.आग ज़ब लगती है तो कीमत नहीं देखतीसब जलता है फिर कोई हैसियत नहीं दिखती। बेशक आज घर सिर्फ मेरा ज़ला हो दर पे आकर आग किसी के नहीं रुकती। … Continue reading मैंने भी खोई है अपने हक़ की ज़मीन

इंतिज़ार

मोहब्बत और इंतिज़ार ये रूह की आवाज़ है दिल तक पहुंचेंगीज़बां का शोर तो कानों तक सीमित है। जब मुझको आवाज़ दो तो धीरे से देनादिल की ये बात है दिल तक ही पहुंचेगी। कर्ज़ सांसों का लफ़्ज़ों से अदा नहीं होगाअब मोहब्बत में और इम्तिहां नहीं होगा। कैसे रोक लूं मैं खुद को तेरे … Continue reading इंतिज़ार

कोरोनाकाल

हमसे ना पूछो कि इस वबा ने क्या छीना हैपलक झपकते ही सीने से सांसों को चुरा लिया। और किसने नहीं खोया है रिश्ता अपनाक्या बताऊं कि हर घर हो सूना बना दिया। एक आंख का आंसू था वो भी चुरा लियाखुदा ने बाबा को जब अपने पास बुला लिया। तुम करते हो अगर बात … Continue reading कोरोनाकाल

ज़िंदगी गुज़र गई ज़िंदगी बनाने में

ज़िंदगी गुज़र गई ज़िंदगी बनाने मेंहम ज़िंदा हैं खुद को ज़िंदा दिखाने में।बाबा लुट गए एक घर को बनाने मेंहम मुब्तला हैं उनको आज़माने में।जब भी लगोगे कुछ कर दिखाने मेंलोग लग जाएंगे तुम को गिराने में। मैं तो परिंदा हूं मुझे मालूम है मेरी हदफिर क्यों लगे को मुझ को गिराने में। और दिल … Continue reading ज़िंदगी गुज़र गई ज़िंदगी बनाने में

बदलाव

हर किसी के दिल में दबी हैं नफ़रतें यहांमोहब्बत का भी एक दौर आना चाहिए। टूट कर बिखर चुके हैं सब ख़ाबहकीकत का भी एक दौर आना चाहिए। रुसवा है हर कोई आज ज़माने मेंखुशियों का भी एक दौर आना चाहिए। बड़ा ही चालाक हो चला अब ज़माना हैमासूमियत का भी एक दौर आना चाहिए। … Continue reading बदलाव

तड़पता है दिल मोहब्बत में मेरा

तड़पता है दिल मोहब्बत में मेरापरेशां वो भी है।दूर में भी हूंदूर वो भी है। ख़ाब उसकी आंखों में भीख़ाब मेरी आंखों में भी हैं।अधूरी ख्वाईश उसकीअधूरी मेरी भी हैं। जी चाहता हैं तोड़ दूं इन बंदिशों कोउसके दीदार के लिए।जान उसकी अटकी है जुदाई मेंतो सांस मुझमें भी कहा बाक़ी हैं। कोई बता दे … Continue reading तड़पता है दिल मोहब्बत में मेरा

मुझी में दोष है अगर मैं ही बुरा हूं

मुझी में दोष है अगर मैं ही बुरा हूंतो नज़रें झुकाकर चलने में हर्ज क्या है। ज़र्रा भी है किसी के लिए सहाराजो है उसी में सब्र करने में हर्ज क्या है। सिकंदर भी कोई पैदा नहीं होतातो मेहनत करने में हर्ज क्या है। हासिल है अगर कुछ चलने सेतो ठोकर खाने में हर्ज क्या … Continue reading मुझी में दोष है अगर मैं ही बुरा हूं

मुक़म्मल ईमां पर तुम्हें चाहता हूं

मुक़म्मल ईमां पर तुम्हें चाहता हूंक्या गलत है अगर मैं ये चाहता हूं। मुकम्मल इश्क़ का सफर। तुझे पाने की ख्वाहिश रूहानी हैमैं नफ़्स से मुक्त तुम्हें चाहता हूं। बदगुमां हूं मैं मगर मोहब्बत नहीं मेरीहकीकत की हद तक तुम्हें चाहता हूं। मैं और क्या मांगू तुम्हें मांगने के बादफकत चंद लम्हें सुकू के चाहता … Continue reading मुक़म्मल ईमां पर तुम्हें चाहता हूं